बड़प्पन
'लघुकथा के परिंदे' फेसबुक समूह में वीरवार, दिनांक 20 जून, 2019 दोपहर 1. 55 पर पोस्ट की हमारी ये कहानी एक हजार लाइक्स पा कर सुना है व्हाट्सअप पर भी वायरल है। हमारी मौलिक रचना ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ रहे हैं ये खुशी की बात है पर अफ़सोस ये है की कुछ लोग इसे अपने नाम से यहाँ -वहाँ पोस्ट कर रहे हैं। सो अगर आप कहीं पढ़ें किसी और के नाम से तो कृपया हमें बता दें। यूँ भी हम आजकल थोड़ा लड़ाई -झगडे के मूड में हैं। सो उन्ही लोगों से लड़-भिड़ लेंगे 😂 😂 😂 😂 😂 बड़प्पन ----------- मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी। दाल, रोटी, सब्जी और रायता। फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प करने लगीं। "माँ ये खाना खाने से पहले फोटो लेने का क्या शौक हो गया है आपको ?" "अरे वो जतिन बेचारा, इतनी दूर रह हॉस्टल का खाना ही खा रहा है। कह रहा था की आप रोज लंच और डिनर के वक्त अपने खाने की तस्वीर भेज दिया करो उसे देख कर हॉस्टल का खाना खाने में आसानी रहती है। " "क्या माँ लाड-प्यार में बिगा