एंग्री यंग मैन --------------- बचपन से ही सुमित को बेहद पसंद थी अमिताभ बच्चन की फ़िल्में। सोचता था वो भी ऐसा ही धीर गंभीर आत्मकेंद्रित बनेगा। शादी के दस साल बाद एक दिन बातों ही बातों में अपनी पत्नी नेहा को ये बात बताई तो नेहा हंस पडी। "फिर आप बने क्यों नहीं जी अमिताभ जैसे गुस्सैल जवान पुरुष ? आप तो आनंद के राजेश खन्ना जैसे सदा मुस्कुराने वाले बन गए। " "क्या करते। सब ठीक ही हुआ जिंदगी में। माता -पिता अच्छे। भाई बहन अच्छे। दोस्त मिले वो भी अच्छे। पड़ोसी भी अच्छे। कभी बेरोजगार भी नहीं रहे। 12 वीं करते ही नौकरी करने लगे। शादी भी आराम से हो गयी। ऑफिस भी ठीक है। तुम भी अच्छी हो और बच्चे भी ठीक हैं। छोटा तो जिंदगी भर साथ निभाने वाला है। तो किस बात पर गुस्सैल हो पाते ?" नेहा हंस दी। पति ऐसे मिले जो सदा अच्छा ही सोचते । उनकी जगह कोई दूसरा होता तो शायद इन्ही बातों में दुखी होने के कारण ढूंढ लेता। बड़े परिवार में पले जहाँ ज्यादा शौक पूरे नहीं हो सकते थे। 12 वीं से नौकरी करने लगे सो कभी कॉलेज की बेफिक्री का लुत्फ़ नहीं उठाय
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बड़प्पन
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'लघुकथा के परिंदे' फेसबुक समूह में वीरवार, दिनांक 20 जून, 2019 दोपहर 1. 55 पर पोस्ट की हमारी ये कहानी एक हजार लाइक्स पा कर सुना है व्हाट्सअप पर भी वायरल है। हमारी मौलिक रचना ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ रहे हैं ये खुशी की बात है पर अफ़सोस ये है की कुछ लोग इसे अपने नाम से यहाँ -वहाँ पोस्ट कर रहे हैं। सो अगर आप कहीं पढ़ें किसी और के नाम से तो कृपया हमें बता दें। यूँ भी हम आजकल थोड़ा लड़ाई -झगडे के मूड में हैं। सो उन्ही लोगों से लड़-भिड़ लेंगे 😂 😂 😂 😂 😂 बड़प्पन ----------- मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी। दाल, रोटी, सब्जी और रायता। फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प करने लगीं। "माँ ये खाना खाने से पहले फोटो लेने का क्या शौक हो गया है आपको ?" "अरे वो जतिन बेचारा, इतनी दूर रह हॉस्टल का खाना ही खा रहा है। कह रहा था की आप रोज लंच और डिनर के वक्त अपने खाने की तस्वीर भेज दिया करो उसे देख कर हॉस्टल का खाना खाने में आसानी रहती है। " "क्या माँ लाड-प्यार में बिगा
Tarun Tejapal case...the classical serial sexual offender
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So the legendary and much acclaimed Tarun Tejpal decided that he as a custodian of his female staff can take liberty from her. His pervert mind no doubt would be acting on the illusion, which many of the males have, that he the so smart, intelligent, prized person can never be turned down by a female who is much less in social and employment status. He must even be thinking about the stupidity of the girl, who instead of enjoying the incident, as advised by the CBI director recently, continued to protest and resist his act. As a woman, it hurts a lot whenever such incidents are reported. To be blunt it is not the incident alone which hurts but the way it is presented and twisted by the dominant male view is what hurts most. Unfortunately, Indian society has failed in giving a good upbringing to its sons. While, it made its daughters vocal, courageous and aware of their rights , it did not make its sons aware of their duties and responsibilities. Worse it continues to massage the